मैक्लोडगंज की सड़कों पर भीख मांगने वाली पिंकी हरयान बनी डॉक्टर, टोंग-लेन संगठन की पहली MBBS ग्रेजुएट

धर्मशाला की पिंकी हरयान

धर्मशाला की पिंकी हरयान ने तिब्बती धर्मार्थ संगठन टोंग-लेन के माध्यम से MBBS की डिग्री हासिल करके एक नई मिसाल कायम की है। एक समय पर, वह अपनी मां के साथ सड़कों पर भीख मांगती थी, लेकिन अब उसने डॉक्टर बनने का अपना बचपन का सपना पूरा कर लिया है, जो न केवल उसके लिए, बल्कि टोंग-लेन संगठन के लिए भी गर्व का क्षण है।

पिंकी का सफर किसी परी कथा से कम नहीं है। 2004 में, जब वह और उसकी मां कृष्णा मैक्लोडगंज में भगवान बुद्ध के मठ के पास भीख मांग रहे थे, तभी तिब्बती भिक्षु जामयांग की नजर उन पर पड़ी। भिक्षु ने न केवल पिंकी की पहचान की, बल्कि उसकी जिंदगी में एक नया मोड़ भी लाया। उन्होंने पिंकी के पिता कश्मीरी लाल से अनुरोध किया कि वह उसे टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट के हॉस्टल में भेज दें, जहां उन बच्चों को शिक्षा दी जाती थी, जो भीख मांगते थे या सड़क पर कूड़ा बीनते थे।

2005 में, पिंकी को टोंग-लेन छात्रावास में शामिल किया गया, जहां से उसकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आया। उसने बताया, "छात्रावास में रहने से पहले मैं अपने सपने को नहीं समझ पाई, लेकिन टोंग-लेन की शिक्षा और समर्थन ने मुझे साहस दिया।"

पिंकी ने अब चीन से बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (MBBS) की कठिन डिग्री हासिल कर ली है। उसने इस सफर के दौरान केवल पढ़ाई नहीं की, बल्कि करुणा, दया और मानवता की सेवा के मूल्यों को भी सीखा।

इस उपलब्धि पर टोंग-लेन संगठन ने गर्व व्यक्त किया है और पिंकी के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने की उम्मीद की है। पिंकी हरयान की कहानी न केवल एक संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह उस दिशा की भी पुष्टि करती है, जिसमें शिक्षा और समर्थन के माध्यम से किसी के जीवन को बदलना संभव है।